हाल ही मे नामिबिया से लाए गए चीतों को लेकर देश में बहुत बङी बहस छिङ चुकी हैं जिसमें विश्नोई संप्रदाय के लोगों मे भारी रोष हैं
क्या है प्रोजेक्ट चीता?
प्रोजेक्ट चीता भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इस परियोजना का उद्देश्य विलुप्त हो चुके चीतों की वापस भारत में संख्या बढाई जाए,इस प्रकार सरकार इस जीव की प्राकृतिक रूप से संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रही है और इसके वैश्विक सरंक्षण के रूप में अपना योगदान दे रही है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वप्रथम 2009 में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया(WTI) द्वारा चीतों की वापसी के मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर रोक लगा दी थी जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने अफ्रीकी चीतों को भारत में उनकी उपयुक्त जगह पर पुन: लाने व संरक्षित करने की मंजूरी भी दे दी थी।लगभग 10 साल बाद मोदी सरकार ने इस काम को पूरा कर दिखाया।
इन चीतों को मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में रखा गया है
नामीबिया से भारत आने के बीच इन 8 चीतों ने 8,000 किमी का हवाई सफर बोइंग 747 में तय किया है प्रोजेक्ट चीता के लिए कुल 96 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं ।
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विश्नोई संप्रदाय क्यों है विरोध में ??
चीतों कि भूख मिटाने के राजगढ़ के जंगल से 181 हिरण(चीतल) भेजे गए।इससे विश्नोई समाज आहत हैं विश्नोई समाज एक पर्यावरण संरक्षण को जागरूक और बचाने के लिए काम करता हैं विश्नोई समाज के प्रवर्तक भगवान जाम्भोजी हैं जिन्होंने अपनी जिदंगी पर्यावरण बचाने और सरक्षण करने के लिए लगा दी थी विश्नोई समाज हिरण को अपना प्रतीक मानते हैं और इनको बचाने के लिए अपनी जान भी न्योछावर कर देते है
वर्तमान में चीतों के भोजन में हिरणों को परोसें जाने पर विश्नोई समाज के लोग मोदी सरकार के खिलाफ खङे हो गए प्रधानमंत्री के नाम पर पत्र भी लिख रहे हैं और आंदोलन की भी चेतावनी दे रहे हैं
हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा मे शामिल हुए पूर्व विधायक कुलदीप सिंह विश्नोई ने हिरणों छौने कि मांग की है
मोदी सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर तरह तरह प्रतिक्रियाएं आ रही हैं जिसमें लोग सलमान खान कांकाणी हिरण कांड से जोड़ रहे हैं
पुराने विडिओ/फोटो शेयर कर जीवों के प्रति अपनी संवेदनाएं जता रहे हैं
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