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बंगाल मे बीजेपी को धार्मिक राजनीति करना पङा महंगा, जानिए हार का कारण

पश्चिमी बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 सम्पन्न हो गए विधानसभा चुनाव 292 सीटों पर कराए गए बंगाल में 294 विधानसभा सीट हैं जिसमें से 292 पर चुनाव होते हैं बल्कि 2 सी टों पर सदस्य मनोनीत होते हैं 



विधानसभा चुनाव में 292 सीटों में से 213 सीटों पर टीएमसी ने भारी बहुमत के साथ बाजी मारी परतुं बंगाल में 77 सीटें भारतीय जनता पार्टी ने जीतकर विपक्ष को सभाला 


यहां पर पिछले विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 211 सीट मिली थी, इस बार 2 सीट का इजाफा हुआ बीजेपी को पिछले चुनाव में छः सीट मिली परतुं इस बार  77 सीट मिली सरकार तो नहीं बना पाए बल्कि वोट बैंक बढी हैं जहाँ टीएमसी को  47.93 % फीसदी वोट मिले, बीजेपी को 38.14% वोट मिले 


बंगाल मे कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा पिछले विधानसभा चुनाव में 44 सीट जीती इस बार परिणाम बहुत ही खराब रहा 


बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में बंगाल में 18 सीटें मिली थी अमित शाह ने बंगाल चुनाव में 200 पार का नारा दिया था जहां 77 पर सिमट गई साथ ही 2 मई दीदी का नारा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुह से सुनने को मिला 


भारतीय जनता पार्टी के कई सारी रैलियां, बङे बङे नेता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 20 से अधिक रैलियां करने के बावजूद भी हार का सामना करना पड़ा इनके हार के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं 


बंगाल में बीजेपी की तरफ से कोई मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं करना ,वहां के लोगों मे आसमज का सामना करना 


प्रदेश में पुराने नेताओं की अनदेखी करना बीजेपी को बहुत भारी पड़ा,स्थानीय नेताओं को मंच नहीं देना ,उनको कम आकना ,दलबदलू नेताओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट देना, स्थानीय बीजेपी नेताओं की टिकट नहीं देना सबसे बड़ी वजह है 


विकास के मुद्दों को न रखकर धार्मिक मुद्दे ज्यादा रखना, वहां के स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज करना ,टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ निजी हमले करना, वहां की संस्कृति के खिलाफ बोलना ,नरेंद्र मोदी और अमित शाह कि जोड़ी ने जहां ज्यादा रैलियां कि वहाँ सीटें कम मिली , गरीबी, रोजगार, कोरोना को लेकर कोई मुद्दा नहीं रखा जनता के सामने, जनता का मुड नहीं समझ पाए 


स्थानीय मुद्दों के सामने केंद्रीय मुद्दे हार का सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है 


ममता बनर्जी एक बंगाल के लोगों मे स्तम्भ के रूप उभर कर आई है ज्यादा से ज्यादा स्थानीय मुद्दों को तवज्जो देना सबसे बड़ी जीत हैं, महिला वोट बैंक अपनी तरफ बनाए रखना भी अपने आप मे एक जीत हैं 


ममता बनर्जी की रैलियों के दौरान अपने पार्टी व स्थानीय नेताओं को अधिक महत्व देना , विपक्ष पर गलत आरोप नहीं लगाना 


ममता बनर्जी 5 मई ,2021 को अपने तीसरे कार्यकाल के रूप में मुख्यमंत्री पद पर शपथ ली 

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