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क्या पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की मौत चीन के 1962 मे दिए हुए धोखे से हुई, आज उनकी पुण्यतिथि हैं ,आइए जानते है उनकी मौत का कारण

 "'लोकतंत्र अच्छा है ये मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि बाकी विकल्प इससे कहीं ज्यादा बदतर हैं "'ये लाइनें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की है इन्होंने ये पंक्तियां उस समय बोलीं जब अंग्रेज भारत छोङ कर चले गए यह समय 1947 और 1950 के बीच का था क्योंकि उस समय देश का कानून व्यवस्था का जिम्मा भारतीय नेताओं को छोप दिया ,वो अब अपने अनुसार भलेही लोकतंत्र का विकल्प चुनें या फिर राजतंत्र की व्यवस्था करें 


इन्होंने किस विकल्प का चयन किया वो आपके सामने हैं 



14 नवंबर ,1889 को ब्रिटिश भारत मे इलाहाबाद में पंडित मोतीलाल नेहरू के घर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ उनके पिता एक धनी बैरिस्टर जो कश्मीरी पंडित थे ,मोतीलाल नेहरू स्वतंत्रता संग्राम के राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे 


जवाहरलाल नेहरू ने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कालेज की शिक्षा ट्रिनिटी कालेज,कैम्ब्रिज कालेज लदंन से प्राप्त की थी इसके बाद उन्होंने अपनी कानूनी शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की थी इग्लैंड मे सात तक रहे जहां पर फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए तर्कसंगत के रुप में अपना दिमाग विकसित किया 


1912 मे नेहरूजी वापस भारत लौटे और वकालत शुरू कर दी ,1916 मे कमला नेहरू से शादी हो गई 


राजनीति की दुनिया में जब आए तब वो महात्मा गांधी के संपर्क में आए थे उस समय महात्मा गांधी जी ने रालेट एक्ट के खिलाफ अभियान शुरू किया उस समय नेहरूजी एक सक्रिय ,शांतिपूर्वक ,कर्मठ एवं ईमानदार पुरुष के रूप में उभरे 


नेहरूजी महात्मा गांधी जी के विचारों से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए इसलिए उन्होंने महात्मा गांधी जी के उपदेशों के अनुसार अपने परिवार को ढाल लिया ,मोतीलाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू ने पश्चिमी कपड़ों और महंगी सपंत्ति को त्याग दिया और गांधीजी की तरह खादी कपङे और गांधी टोपी पहनने लगे 


दिसंबर 1929 मे , कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर मे हुआ जिसमें जवाहर लाल नेहरू को अध्यक्ष चुना गया इसी सत्र के दौरान एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें "पूर्ण स्वराज " की मांग की थी 

26 जनवरी 1930 को पहली बार लाहौर में भारत का झंडा फहराया गया 

1942 मे भारत छोङो आंदोलन के दौरान उनको गिरफ्तार भी किया गया था और  1945 मे उनको छोङ दिया गया ,1947 मे भारत और पाकिस्तान की आजादी के समय उन्होंने ब्रिटिश सरकार के साथ हुई बातचीत में महत्वपूर्ण भागीदारी थी 


जब 1947 मे ब्रिटिश साम्राज्य का अंत हुआ तब भारतीय नेताओं के सामने बहुत बङा पहाड़ खङा हो गया ,जिस समय भारत आर्थिक रूप से बहुत कमजोर था ,भारत को अपना संविधान लिखना था ,रियासतों को एक करके एक झंडे के नीचे लाना था 


उस समय संविधान बनाने का जिम्मा संविधान सभा को दे दिया था ,संविधान बनने मे कुछ समय लगेगा फिर चुनाव होगे तब तक देश के प्रधानमंत्री का जिम्मा कांग्रेस पार्टी के ऊपर था प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस पार्टी में चुनाव हुआ तो सरदार पटेल को सबसे अधिक वोट मिले ,उसके बाद आचार्य कृपलानी को वोट मिले , किन्तु गांधी जी के कहने पर सरदार पटेल और कृपलानी ने अपने नाम वापस ले लिया और जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया


नेहरूजी ने भारत के पुर्नगठन के रास्ते में उभरी हुई हर चुनौती का सामना सावधानीपूर्वक किया ,नेहरूजी ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी | उन्होंने योजना आयोग का गठन किया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को एक नया आयाम दिया ,उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग जगत को नया रास्ता मिला ,भारत की विदेश नीति मे उनका बहुत बङा योगदान है लेकिन वो भारत, पाक,चीन रिश्तों को नहीं संभाल पाए 


नेहरूजी की सबसे बड़ी उपलब्धि है गुट निरपेक्ष आंदोलन की रचना की ओर उपनिवेशवाद का खात्मा किया , वह कोरियाई युद्ध का अंत करने ,स्वेज नहर विवाद सुलझाने, कांगो समझोते मे उनका बहुत बङा योगदान है 


1955 मे उनको भारत रत्न से नवाजा गया 


सबसे आम बात है सन्1962  मे नेहरूजी ने चीन की तरफ मित्रता का हाथ बढा़या था लेकिन चीन ने बहुत बङा धोखा दिया 1962 मे आक्रमण कर दिया जिसमें भारत के पास पर्याप्त मात्रा संसाधन नहीं होने के कारण हार का सामना करना पङा ,तब नेहरूजी को बहुत बङा झटका लगा था बताया जा रहा है उसी धोखे से लगा सदमा उनकी मौत का कारण बना ,27 मई  1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ने से उनकी  मौत हो गई 


नेहरूजी अतंर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुए एक राजनेता के रूप में उभरे 

वो एक अच्छे लेखक भी थे जिनकी बुक -पिता के पत्र:पुत्री के नाम 1929 , विश्व इतिहास की झलक, मेरी कहानी ,भारत की खोज, राजनीति से दूर, इतिहास के महापुरुष आदि उनकी कई बुक हैं 


उनको भारतीय बच्चे चाचा नेहरू नाम से पुकारते थे 

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