दुनिया में ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था ,एक ऐसी बिमारी आएगी लोगों को सांस मांगकर पर लेनी पङेगी जी हाँ अब ऐसा ही चल रहा है जब से कोविड -19 महामारीआई हैं इनकी पहली लहर मे तो बहुत कम असर दिखा ,जो दूसरी लहर आई है इसमें मरीजों की संख्या पहले ज्यादा है दूसरी लहर मे उम्र कोई मायने नहीं रखती हैं क्योंकि पहली लहर मे बुढे लोगों मे ज्यादा थी पर इस बार बच्चे, बुढे,महिला सब मे हैं
कोविड मरीजों में सबसे ज्यादा दिक्कत मरीज के फेफड़े और सांस मे आ रही है सांस मे तकलीफ के लिए उनको आक्सीजन कि जरूरत पङती हैं आक्सीजन कि जरूरत के लिए उनको आक्सीजन सिलेंडर कि जरूरत पङती हैं
भारत में आक्सीजन सिलेंडर कि घोर कमी चल रही है
आइए जानते है ये आक्सीजन कहा से बनती है ,कैसे बनती है ,मरीज के लिए कैसे काम करती हैं
आपने सुना होगा वायुमंडल में 21 प्रतिशत आक्सीजन,78 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है बाकी थोड़ी बहुत अन्य गैसें होती हैं यहां पर कंपनियां एयर प्लांट लगाती हैं जिसमें वायुमंडल से गैस एकत्रित करती है फिर गैस को संपीडित किया जाता हैं उसमें से आक्सीजन को अलग किया जाता है फिर उसमें अन्य घटकों को नष्ट करके आक्सीजन को सिलेंडर मे भरा जाता है जो आगे जाकर हास्पिटल मे आते हैं जिसमें मरीजों को दी जाती है
वर्तमान में एक और तरीका भी अपनाया जा रहा है आक्सीजन के लिए ,जिसमें अस्पताल में मरीज के पास एक पोर्टेबल मशीन लगाईं जाती है जो बाहर की आक्सीजन को मशीन के सहारे मरीज को दी जाती है
भारत में रोज का मरीजों के लिए आक्सीजन 2000 मिट्रिक टन का आवश्यकता पङ रही है उत्पादन क्षमता 6400 मिट्रिक टन हैं बाकी आक्सीजन उद्योगों में जाती हैं कोविड को लेकर भारत में आक्सीजन कि कमी चल रही है राज्य सरकारें केंद्र सरकार से आक्सीजन मांग रही है
देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बंगाल में चुनावी रैलियां कर रहे हैं उनको फक्र ही नहीं है देश में इतनी बङी महामारी चल रही है जो पिछले साल से ज्यादा विकराल हो चुकी हैं
पर्यावरण प्रेमी कुछ ओर आलोचना कर रहे हैं -लोगों से बिना पैसे आक्सीजन देने वाले प्राकृतिक पेङ लगाए नहीं जाते ,बल्कि अब लाखों रुपए आक्सीजन सिलेंडर के लिए देने के लिए होङ लगीं हैं इससे भला हैं अपने आस -पास ज्यादा से ज्यादा पेङ पौधे लगाए ताकि आने वाले समय में हमें आक्सीजन मिल सके
कोविड -19 बचने के लिए एक ही सहारा है अब खुद को जागरूक होना पङेगा क्योंकि ये बीमारी अब खत्म नहीं होगी हर साल आएगी अब इसके साथ जीना सीख लो
1 टिप्पणियाँ