पृथ्वी और पर्यावरण की रक्षा और इसका महत्व विश्व में सर्वप्रथम यदि कोई समझ पाया तो वह पश्चिमी राजस्थान है
15वी सताब्दी में बिसनोई संत जम्भेशवर पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने उपदेश में कहा था कि
,प्राण जाने से वृक्ष बचे तो भी वृक्ष सस्ता है,
और उसके बाद
खेजड़ली एक गांव है जो राजस्थान के जोधपुर ज़िले में स्थित है यह दक्षिण-पूर्व स्थित सन् 1730 में इस गांव में खेजड़ी को बचाने के लिए अमृता देवी तथा कुल 363 बिश्नोई लोगों ने बलिदान दिया था। यह चिपको आंदोलन की पहली घटना थी जिसमें पेड़ों की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया गया। आज भी विश्नोई ।
इन घटनाओं के 200 वर्ष बाद 1970 ई. में रेयोडी जेनेरियो मे प्रयावर्ण को लेकर समेलन किया गया जिसे
पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है कहते हैं, जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी। अब इसे 192 से अधिक देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है।
क्यों.....
पृथ्वी पर बढ़ते तापमान वह बढ़ती जनसंख्या एवं ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए नियम बनाए गए जिससे सुरक्षा की जा सके।
मनवीर लोभी घटनाओं पर प्रतिबंध लगाया जा सके
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली घटनाओं को रोका जा सके और उन में कमी लाई जा सके
वायु मंडल मैं पाई जाने वाली गैस का अंतुलन बनाए रखना और सूर्य से आने वाली हानिकर प्रबेंगनी किरणों को रोकने वाली ओझोना परत की सुरक्षा करने का नीच्य किया गया
वर्तमान स्थिति......
में नदियां औद्योगिक रसायनों के अवजल के कारण प्रदूषित हो गई हैं, बेतहाशा वनों का विनाश किया जा रहा है। वायु प्रदूषण में व्यापक वृद्धि हुई है। भारी भूस्खलन एवं बाढ़ की समस्या में वृद्धि हुई है। कृषि में कीटनाशकों के व्यापक प्रयोग ने प्राकृतिक संतुलन को अपार क्षति पहुंचाई है।
जिससे वायु मंडल में ऑक्सीजन व नाइट्रोजन जेसी प्राण वायु गेसो की कमी पड़ रही हैं।
इस परकार लगातार यह प्रभाव रहे तो..
साल 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 16.7 लाख लोगों की मौत हुई है. इतना ही नहीं, वायु प्रदूषण के कारण देश को 260,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ है.
यह जानकारी केंद्र सरकार की संस्था आईसीएमआर की एक रिपोर्ट में सामने आई है. लेकिन क्या ये आँकड़े आपके लिए कुछ मायने रखते हैं?
दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार समेत भारत का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय से लगातार वायु प्रदूषण की चपेट में है.
बारिश के महीनों को छोड़ दिया जाए तो हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में रहने वाले लोग लगभग पूरे साल प्रदूषण की मार झेलते हैं.
लेखक - पुखराज बैरङ
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