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जानिए युवाओं की Copy paste दुनिया ,दुखःभरी स्टोरी जो कुछ कहना चाहती हैं

 Copypaste कि दुनिया में आपका स्वागत है 

पिछले एक दिन और आज होली के दिन मैं स्टेटस,पोस्ट डालने मे व्यस्त रहुंगा क्योंकि मेरे अन्दर की सारी आंतरिक शक्ति मैंने इस मोबाइल से लिंक कर दी  अब मेरे को मोबाइल ही चलाएगा ,चलिए देखते हैं मोबाइल कि दुनिया में .....
मैंने एक पिछले महीने एक फोटोग्राफर से अच्छा फोटो खिचवाया जो आम नेता लोग खिचवाते हैं मैं उसी फोटो को मेरी राजनीति पार्टी के पोस्टर में लगाऊंगा ,त्योहार आने वहीं लगाऊंगा और आज होली के दिन सबको बधाई देने के लिए वही फोटो लगाऊंगा ,बधाई का पोस्टर कुछ ऐसा होगा जिसमें मैं होली की कोटि कोटि बधाइयां दूंगा पर ये बधाइयां किस बात की दे रहा हूँ वो मुझे नहीं पता क्योंकि मैंने कल रात 12 बजे मेरे दोस्त की स्टेटस मे देखा मुझे पोस्टर बनाना नहीं आता इसलिए मैंने फोटो मेरे दोस्त को भेजा मैंने बोला तेरे पोस्टर जैसा मेरा पोस्टर बना देना फिर उसने मेरा पोस्टर बना दिया और मेरे को व्हाट्सएप के डाक्यूमेंट फाइल से भेज दिया डाक्यूमेंट  फाइल से भेजने का आशय यह है कि वो फोटो में तीन चार जगह लगाऊंगा तो उसकी क्वालिटी खत्म नहीं होगी उसने फोटो देर रात तक भेजी तब तक मैं सो गया फिर मेरे सपने में वहीं मोबाइल लिंक कार्यक्रम चलने लगा कल उठते ही फोटो फेसबुक पर लगाऊंगा उस उस को टैग करूंगा ताकि उसके सभी दोस्तों के पास मेरी फोटो जाएगी मेरे फालोअर्स बढेंगे सुबह उठते ही बिना मुहं धोए फोन खोलकर इंटरनेट चालू किया, चालू करते ही copypest के सैकड़ों मैसेज आए  फिर मैंने सबसे पहले व्हाट्सएप के एक दोस्त की होली कि हार्दिक शुभकामनाएं वाली कुछ लाइनें चुराई फिर मेरे स्टेटस मे वही पोस्टर और लाईन लिखकर सभी को फारवर्ड कर दिया ...वहीं प्रक्रिया फेसबुक और इंस्टाग्राम युनिवर्सिटी पर रही फिर मुहं धोया पानी पिया चाय पी ,कुछ देर बाद मोबाइल खोला तो वहीं कापीपेस्ट  मैसेज का रिप्लाई देने लगा 2 ,3 घंटे गुजर गए मेरी ये प्रक्रिया होली पर नहीं बल्कि छोटे मोटे कार्यक्रम, त्यौहार, जन्मदिन, पर चलता रहता है
क्योंकि मैं भगतसिंह को कहानियों में मेरा आदर्श मानता हूं क्योंकि उनकी जयंती पर मैंने वहीं प्रक्रिया अपनाई जो कापीपेस्ट है मैंने कभी उनके बारे मे पढ़ने की कोशिश नहीं कि क्योंकि मैं ठहरा फेसबुक युनिवर्सिटी का स्टुडेंट वहां मुझे अग्रेजो ने फांसी दी उसके बारे में लिखा हुआ मिल जाएगा एक दिन तो देशभक्त रहुंगा फिर वहीं दिनचर्या होगी

"आप सभी को मेरी तरफ से होली की शुभकामनाएं"--रामलाल (युवा नेता, सामाजिक कार्यकर्ता)

आज होली हैं मैंने लोगों को किस किस कि बधाइयां दी वो मुझे खुद को पता नहीं है होली क्यों मनाई जाती हैं इसके बारे में मैंने बचपन में सुना था प्रहलाद को जलने से बचाना होगा और होलिका को जलने देना होगा इससे ज्यादा मैंने पढने कि कोशिश नहीं कि क्योंकि मेरा आंतरिक दिमाग मोबाइल से लिंक हैं
मैं भारतीय युवा होने पर गर्व करता हूँ क्योंकि मैंने पोस्टर और कापीपेस्ट वाली प्रक्रिया स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस ,सीमा पर शहीद होने वाले शहीद के अत्येष्टि के दिन अपनाई हैं इससे मैं देशभक्त हूँ मैंने मेरा फर्ज कापीपेस्ट कि दुनिया से उतार दिया
जो युवा शहर में रहते हैं वो आज गांव कि तरफ रूख करेंगे उनके पीठ पर एक बैग होगा उसमें कुछ सामान होगा ,गले में ब्लूटूथ वाले इयरफोन होगे एक हाथ में घङी बंधी होगी दूसरे हाथ में एक थैली होगी जिसमें बाजार से कुछ दिखावटी कपङे लिए होगें बैग भलीई खाली होगा पर वो थैली हाथ में होगी क्योंकि लोग समझेंगे ये अमीर पापा का लङका हैं और शहर से गांव बस में जाऊंगा बस में तो मेरी धाक सबसे अलग होगी क्योंकि मैं आज सबसे अलग दिखुगा

चलिए अब  copypaste  कि दुनिया से बाहर निकलते हैं अब मैं देखता हूँ तो वो दुनिया नजर नहीं आती जो  copypaste दुनिया थी
अब देखता हूँ तो मैंने दिखावटी पोस्टर क्यों लगाए मुझे खुद समझ नहीं आ रहा है और मैं मेरी क्षमता से ज्यादा पैसे खर्च करके चीजें लाया मैं दिखावटी किसके सामने कर हू वो मुझे समझ नहीं आ रहा है
लेखक की राय - जो भी युवा बाहर पढाई कर रहे हैं या काम कर रहे हैं वो गांव में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के सामने दिखावटी ना करें शहर से गांव जा रहे हैं तो शहर से नकली चीजें गांव में ना लेके जाए जिस बस से गांव जा रहे हैं उस बस में पास बैठे सज्जन से बात करे उनको प्रकृति ,देश, दुनिया के बारे में जागरूक करे अधंविश्वास मे विश्वास नहीं करे
गांव जाए तो गांव में सभी लोगों से हंस बोल कर बातें करे भलीई वो बच्चा हो मजदूर हो किसान हो कोई भी हो, हर गांव मे कुछ एडंवास लोग रहते हैं जिनके पास कम समय बिताए उनके बहकावे में नहीं आए
प्रकृति यहाँ सभी को समान रूप से देखती हैं  भलीई अमीर हो या गरीब ,प्रकृति को जिंदा रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेङ लगाए
और खुद को जिंदा रखने के लिए बङे बङे विचारकों, लेखकों, क्रातिकारियों के पोस्टर कि जगह उनकी किताबें जरूर पढे ,क्योंकि पोस्टर केवल 24 घंटे जिंदा रहता किताबों से मिला ज्ञान सैकड़ों वर्षों तक जिंदा रहता है
                                                         गोविंद जाणी

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