20 वीं सदी में जब भारत ब्रिटिश साम्राज्य का गुलाम था ब्रिटिश शासन केवल भारत पर ही नहीं था बल्कि लगभग पूरे संसार में था तब भारत और पाकिस्तान अलग नहीं थे जब समूचे देश को आजाद कराने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन चल रहे थे वर्तमान पाकिस्तान के लाहौर से पूर्वी भारत तक आदोलन चलते थे तब 28 सितंबर 1907 को पाकिस्तान के गांव बगा,जिला लायलपुर,पंजाब (अब पाकिस्तान में ) सरदार किशनसिंह और माता विधावती कौर के घर एक बच्चा जन्मा था नाम रखा था सरदार भगतसिंह जो आगे जाकर शहीद ए आजम सरदार भगतसिंह के नाम से विश्व विख्यात हुए,
भगतसिंह ने अपनी छोटी सी उम्र में देश से अग्रेंजों को भगाने के लिए बहुत कुछ किया उन्होंने जगह जगह चल रहे राष्ट्रीय आदोंलनो मे भाग लिया ,युवाओं को आगे के लिए कई संगठन बनाए ,अग्रेजो कि नीद खोलने के लिए भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को असेंबली भवन में अग्रेज अधिकारियों की मिटींग चल रही थी वहां उन्होंने मिर्ची बम से ब्लास्ट किया वैसे उनका लक्ष्य किसी को जनहानि पहुचाना नहीं था बल्कि उनकी नींद खोलने के लिए था भारतीय सभी जाग उठे हैं
23 मार्च 1931 को अपने तीन साथियों के साथ फांसी पर चढा दिए गए फांसी का निर्धारित समय 24 मार्च था उनको एक दिन पहले ही फांसी पर चढा दिया था क्योंकि अग्रेजो को पता चल कि भगतसिंह जिस मे बंद थे वहां 24 मार्च को सभी भारतीय नौजवान विरोध करने आ रहे थे
भगतसिंह को फांसी पाकिस्तान के लाहौर जेल में दे दी गई जब 1947 मे भारत पाकिस्तान का विभाजन हुआ था तब भगतसिंह कि भावनाओं का विभाजन नहीं हुआ था क्योंकि सीमा के दोनों तरफ भगतसिंह कि जंयती मनाते हैं दोनों तरफ याद करते हैं भलेही भगतसिंह का जन्म और मुत्यु स्थान पाकिस्तान में हो पर भारत के लोगों का भगतसिंह के प्रति वहीं भावना उजागर हैं
पाकिस्तान ने भारत रत्न दिलाने की मांग की-
भगतसिंह केवल भारत के हीरों नहीं है बल्कि वो पाकिस्तान के भी हीरों हैं पाकिस्तान के भगतसिंह मेमोरियल फांउडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी ने भगतसिंह को भारत का सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न और पाकिस्तान का सर्वोच्च अवार्ड निशान ए पाकिस्तान दिलाने की मांग की,साथ ही ब्रिटिश सरकार से मांग की है वो भारत उपमहाद्वीप से माफी मांगे
कुरैशी ने पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय से भी अपील कि है वो पाकिस्तान के स्कूली पाठ्यक्रम में भगतसिंह कि गौरवगाथा शामिल करे
पाकिस्तान में कई स्कूलों, कालेजों ,चौको का नाम भगतसिंह के नाम पर रखा गया है
मानवाधिकार कार्यकर्ता इमतियाज रशीद कुरैशी ने शहीदी दिवस पर भगतसिंह के यादों को एक विरासत के रूप में सांझा किया है
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