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ऐसे रेत भरे बवंडर क्यों आते हैं ,धरती अपने आप को कैसे साफ करती है जानिए

 

पश्चिमी राजस्थान जैसलमेर, बाङमेर, जोधपुर मे  21 मार्च 2021 के रात भारी रेत का बवंडर आया जिससे लोगों की फसलें बर्बाद हो गई ,अमुमन इस टाइम लोगों के जीरा कि फसल लेने का हैं जिन लोगों ने फसल काट ली थी उनकी आधी के साथ उङ गई और जिसनें नहीं काटी उनकी खङी फसल रेत के हवाले हो गई



ये जो फोटो दिख रहा है ये कोई सर्दियों में आने वाला कोहरा, धुंध नहीं बल्कि ये रेत का बवंडर हैं जो पिछले 12 घंटो से ज्यादा समय से हैं ये स्थिति अचानक पैदा नहीं हुई है



धरती के साथ खिलवाड़-
मुझे याद है आज से 15, 20  साल पहले ऐसे बवंडर आते थे वो भी शाम को एक दो घंटो तक सीमित थे इससे ज्यादा नहीं रहते थे वो भी गर्मियों के दिनों में जब आंधियाँ चलती हैं तब आते थे लेकिन अब ये सर्दियों के दिनों में आना धरती की ओर से संकेत या पैगाम देता है
इसांन ने इस धरती माता का दर्जा तो दे दिया पर इसका पालन पोषण नहीं करता आज धरती को इतना गंदा कर दिया है कि धरती खुद को शर्म आती है वो खुद बार बार अपने आप को साफ करने की कोशिश करती हैं
आज धरती के फेफड़े कहे जाने वाले पेड़ो को इसांन खा गया है पेड़ो कि लगातार कटाई हो रही है प्रदूषण तो इतना फैला दिया है कि वो सांस भी नहीं ले पा रही है
ये जो बवंडर आते हैं जिसमें धरती अपने आप को कैसे साफ करती हैं चलिए देखते हैं
ये जो बवंडर उठते हैं ये अपने साथ रेत के कण लेकर उपर उठते हैं जो  कम से कम 1 किमी आसमान तक होते है शहरों और गांवो से निकला प्रदूषित धुंआ इसी एरिया में रहता है जिससे रेत के कण के साथ वापस जमीन पर आ जाता है जिससे जमीन कम उपजाऊ होने लगती है
पश्चिम राजस्थान को थार का मरूस्थल बोला जाता है जहां रेत के धोरे ज्यादा और पेड़ पौधे वनस्पतियां कम पाई जाती है एक तो ऊपर से पानी की किल्लत ,पानी हैं वो भी लवणीय हैं
यदि आप इसी तरह धरती के साथ खिलवाड़ करते रहोगे तो धरती भी माफ नहीं करेंगी अभी तो शुरुआत हुई है आगे कई त्रासदीया आने वाली है या तो इन त्रासदीयो से निपटने का साधन ढूंढ लो या धरती के साथ खिलवाड़ बंद कर दो

आगे की राह -
इंसान मे अभी तक इतनी बुद्धि नहीं है कि वो  प्राकृतिक त्रासदी से निपटे , प्रकृति निपटने नहीं देती ये प्रकृति की तरफ से सदेंश हैं यदि हमकों ऐसी त्रासदीओ से निपटना हैं तो ज्यादा से ज्यादा पेङ लगाने होगे जिससे जमीन ढकी रहेगी रेत जैसे बवंडर आने कम हो जाएंगे ज्यादा पेङ होगे तो जलवायु संतुलित बनी रहेगी जिससे समय पर वर्षा होगी तूफान आने के चान्स कम होगे ,हो सके तो ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करें जिससे प्रदूषण कम होता है कम से कम बनावटी चीजों का प्रयोग करें जो धरती को प्रदूषित बनाते हैं 
सरकारों से भी अनुरोध है वो अपने स्वार्थ के लिए बङे बङे प्रोजेक्ट जो प्रकृति हित में नहीं है उनको लगातीं हैं

अभी आप एक महामारी से निपटे नहीं और आगे ऐसी भयंकर महामारी आने वाली है जो इंसान को खत्म कर देगी इसलिए अभी भी टाइम है हमको सभंलने कि,नहीं सभंले तो वो दिन दूर नहीं है

इंसान इस आधुनिक युग में अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संसाधनों का मौल भुल गया है

                                        -  गोविंद जाणी

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6 टिप्पणियाँ

Nr bajad tapra ने कहा…
बहुत बहुत खूब जॉणी साहेब ,आपकी कलम की सकारात्मक धार के लिये बहुत बहुत बधाई हो
Unknown ने कहा…
शानदार
Dinesh ने कहा…
शानदार
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